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शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
मां भगवती के इस पाठ को करने की विधि है उसका पालन जरूर करें. आइए जानते हैं सिद्ध कुंजिका पाठ की विधि और लाभ.
देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।
यस्तु कुञ्जिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् ।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।
గమనిక: శరన్నవరాత్రుల సందర్భంగా "శ్రీ లలితా స్తోత్రనిధి"
नमस्ते शुम्भ हन्त्र्यै च, निशुम्भासुर घातिनि।
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विच्चे चा ऽभयदा नित्यं, नमस्ते मन्त्ररूपिणि।।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।
समय का अभाव है तो नवरात्रि के नौ दिनों में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर देवी की उपासना की जा सकती है. इससे पूजा और व्रत का अक्षय पुण्य प्राप्त होगा.